कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो प्रयागराज
प्रयागराज। संगम की रेती पर आस्था के सबसे बड़े जमावड़े 'माघ मेला' में इस बार भक्ति के बजाय आक्रोश की गूँज सुनाई दे रही है। प्रयागराज मेला प्राधिकरण कार्यालय के बाहर पिछले 24 घंटों से चल रहा साधु-संतों का धरना शनिवार को उस वक्त एक हाई-वोल्टेज ड्रामे में तब्दील हो गया, जब सैकड़ों संतों के सब्र का बांध टूट गया। शुक्रवार रात से कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठे 100 से ज्यादा साधु-संतों का गुस्सा शनिवार सुबह सातवें आसमान पर पहुंच गया।
मामला उस समय बेहद गंभीर हो गया जब एसडीएम संजीव उपाध्याय संतों को समझाने और वहां से हटने की अपील करने पहुंचे। देखते ही देखते संतों और अधिकारियों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई। इसी गहमागहमी के बीच एक बुजुर्ग संत अचानक एसडीएम के पैरों में गिर पड़े और फूट-फूट कर रोने लगे। संत ने कांपती आवाज में सिर्फ एक ही बात कही "साहब, या तो हमें रहने के लिए जमीन दे दो या फिर हमें अपराधी बनाकर जेल भेज दो।" इस मंजर को देख वहां मौजूद अन्य साधु-संत उग्र हो उठे और प्रशासन के खिलाफ जबरदस्त नारेबाजी शुरू कर दी।
संतों का सीधा आरोप है कि मेला प्रशासन भेदभाव कर रहा है। हफ्तों बीत जाने के बाद भी न तो उन्हें रहने के लिए जमीन आवंटित की गई है और न ही जरूरी सुविधाओं के लिए पर्ची दी गई है। स्थिति को बिगड़ते देख एसडीएम जैसे-तैसे कार्यालय के भीतर पहुंचे, जिसके बाद संतों ने दफ्तर का घेराव कर दिया। फिलहाल, मेला प्राधिकरण कार्यालय को छावनी में तब्दील कर दिया गया है और भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है। तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए आवाजाही रोक दी गई है और संत अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन झुकता है या संतों का यह आंदोलन और उग्र रूप धारण करता है।
