कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो प्रयागराज
प्रयागराज। संगम की रेती पर माघ मेला 2026 की तैयारियों को लेकर मेला प्रशासन ने 'सब ऑल इज वेल' का बोर्ड तो टांग दिया है, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। एक तरफ जहां मेला प्राधिकरण ने आधिकारिक रूप से घोषणा कर दी है कि भूमि आवंटन का कार्य शत-प्रतिशत पूर्ण हो चुका है, वहीं दूसरी ओर सैकड़ों साधु-संत अब भी जमीन के एक टुकड़े के लिए भटक रहे हैं।
प्रशासन का दावा: 'मिशन अलॉटमेंट' पूरा
मेला अधिकारी ऋषि राज ने कड़े निर्देश जारी करते हुए कहा है कि सभी संस्थाओं को भूमि आवंटित कर दी गई है। अब गेंद संस्थाओं के पाले में है उन्हें जल्द से जल्द बसावट का काम पूरा करने को कहा गया है ताकि प्रथम स्नान पर्व से पहले सारी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद हो सकें। प्रशासन का कहना है कि 28 दिसंबर से पूरी मशीनरी केवल घाट निर्माण, बिजली-पानी और भीड़ प्रबंधन पर केंद्रित रहेगी।
लेकिन... फिर ये हंगामा क्यों?
बड़ा सवाल यह है कि यदि आवंटन 'पूर्ण' हो चुका है, तो फिर सैकड़ों संत मेला कार्यालय के बाहर धरने पर क्यों बैठे हैं? प्रशासन के इस दावे ने उन संतों की चिंता बढ़ा दी है जिन्हें अब तक जमीन नहीं मिली है। "जब आवंटन ही पूरा हो गया, तो जो संत अब भी कतार में हैं, वे कहां जाएंगे?" यह सवाल मेले के गलियारों में सस्पेंस पैदा कर रहा है।
हेल्पलाइन और सेक्टर ऑफिस के भरोसे संत
प्रशासन ने किसी भी समस्या के लिए हेल्पलाइन नंबर 1920 और सेक्टर प्रभारियों के नंबर जारी किए हैं। लेकिन जमीन की कमी और संतों के आक्रोश के बीच ये नंबर कितने 'हेल्पफुल' साबित होंगे, यह कहना मुश्किल है।
28 दिसंबर से 'अग्निपरीक्षा'
मेला प्रशासन के अनुसार, कल यानी 28 दिसंबर से बसावट की प्रक्रिया में युद्ध स्तर पर तेजी लाई जाएगी। एक तरफ प्रशासन का 'डेडलाइन' का दबाव है और दूसरी तरफ बेघर संतों का गुस्सा। ऐसे में संगम तट पर तनाव और अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
"खत्म हुआ इंतजार या शुरू हुई नई जंग?"
मेला प्रशासन कह रहा है- 'जमीन बंट गई', लेकिन सैकड़ों संत पूछ रहे हैं- 'हमारी कुटिया कहां लगेगी?' माघ मेला 2026 के भूमि आवंटन की पूरी कहानी, जो कागजों में तो मुकम्मल है पर जमीन पर 'हंगामे' की भेंट चढ़ रही है।
