कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो प्रयागराज
प्रयागराज। विश्व आयुर्वेद परिषद उत्तर प्रदेश ने महर्षि भारद्वाज की जयंती को एक वैज्ञानिक संगोष्ठी के साथ धूमधाम से मनाया। ट्यूलिप होटल में आयोजित इस समारोह में प्रयागराज इकाई ने सहयोग किया, जबकि नागार्जुन फार्मास्यूटिकल्स (अहमदाबाद) ने इसका प्रायोजन किया। परिषद के प्रदेश सचिव डॉ. एस.एस. उपाध्याय के निर्देशन में हुए इस कार्यक्रम में लगभग 75 आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. उपाध्याय ने बताया कि महर्षि भारद्वाज ने प्रयागराज को विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय के रूप में विकसित किया था। वे न केवल चिकित्सा के परम ज्ञाता थे, बल्कि अनेक विषयों के विशेषज्ञ भी थे। उन्होंने उपस्थित चिकित्सकों से अपील की, "महर्षि के पदचिह्नों पर चलते हुए आयुर्वेद के माध्यम से एक स्वस्थ समाज की स्थापना करें।" उनका यह आह्वान आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने के संकल्प को मजबूत करने वाला साबित हुआ।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर जी.सी. त्रिपाठी ने चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा, "आयुर्वेद को हर घर तक पहुंचाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।" उन्होंने परिषद की भूमिका की सराहना करते हुए आयुर्वेद को आधुनिक विज्ञान से जोड़ने पर जोर दिया।
संगोष्ठी का मुख्य आकर्षण शरद ऋतु में होने वाली व्याधियों का निदान और उपचार रहा। मुख्य वक्ता डॉ. पी.एस. पाण्डेय ने इन व्याधियों के कारणों, लक्षणों और घरेलू उपचारों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि शरद ऋतु में पित्त दोष का प्रकोप बढ़ जाता है, जिसके लिए संतुलित आहार और जड़ी-बूटियों का उपयोग आवश्यक है।
वहीं, डॉ. ऋतुराज त्रिपाठी ने पित्त प्रकोप की शांति पर विशेष फोकस करते हुए विरेचन चिकित्सा की महत्वता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "विरेचन न केवल शारीरिक शुद्धि करता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी मजबूत बनाता है।" उनके व्याख्यान ने उपस्थित चिकित्सकों में उत्साह भर दिया।
कार्यक्रम में प्रदेश उपाध्यक्ष एवं हंडिया आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ. के.एन. उपाध्याय तथा प्रयागराज के डीएचओ डॉ. मनोज सिंह ने भी अपने विचार साझा किए। डॉ. उपाध्याय ने आयुर्वेद शिक्षा के विस्तार पर बल दिया, जबकि डॉ. सिंह ने सरकारी स्तर पर आयुर्वेद को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर चर्चा की।
प्रयागराज इकाई के अध्यक्ष डॉ. एस.सी. दूबे ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया, जबकि कार्यक्रम समन्वयक डॉ. बी.एस. रघुवंशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन डॉ. एम.डी. दुबे ने बखूबी किया। इस अवसर पर प्रयागराज सचिव डॉ. बी.डी. तिवारी, प्रभारी डॉ. जे. नाथ तथा नागार्जुन फार्मास्यूटिकल्स के रीजनल सेल्स मैनेजर नीरज तिवारी भी मौजूद रहे।
यह समारोह न केवल महर्षि भारद्वाज के योगदान को याद करने का माध्यम बना, बल्कि आयुर्वेद को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मजबूत करने का संकल्प भी जगा गया। परिषद ने ऐसी संगोष्ठियों को नियमित आयोजित करने की योजना बनाई है।
