कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो प्रयागराज
प्रयागराज: पत्रकारिता, जो शासन, प्रशासन और जनता के बीच सेतु का काम करती है, लोकतंत्र का एक मजबूत स्तंभ है। लेकिन आज यह पेशा खतरे में है। हाल के वर्षों में पत्रकारों पर हमले और फर्जी मुकदमों की घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे पत्रकार भय के साये में काम करने को मजबूर हैं। यह स्थिति लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती है।
देश के विभिन्न हिस्सों में पत्रकारों पर हमले और उन्हें जेल भेजने की घटनाएं आम हो गई हैं। कई मामलों में अदालतों ने इन मुकदमों को फर्जी करार दिया, फिर भी पत्रकारों को डराने की कोशिशें जारी हैं। खासकर नशे का कारोबार, सट्टा, जुआ, अवैध खनन और उगाही जैसे संगठित अपराधों में लिप्त अपराधी अपने गुर्गों के जरिए पत्रकारों को निशाना बनाते हैं, ताकि उनकी गतिविधियां उजागर न हों।
उत्तर प्रदेश पत्रकार कल्याण परिषद मांग करता है कि शासन ऐसे अपराधियों को चिह्नित कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। सरकार को सभी जिलों में अधिकारियों को निर्देश देना चाहिए कि वे अवैध कारोबार में लिप्त लोगों के खिलाफ तत्काल अभियान चलाएं। विशेष रूप से प्रयागराज जैसे जिलों में, जहां अवैध कारोबार कथित पुलिस संरक्षण में फल-फूल रहे हैं, गोपनीय जांच जरूरी है।
पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की मांग भी परिषद ने उठाई है। पत्रकारों में यह धारणा बन रही है कि उनके ऊपर हमले बढ़ रहे हैं, जिससे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ असुरक्षित हो रहा है। परिषद पत्रकारों पर हमलों और उनकी हत्या की कड़ी निंदा करता है। जल्द ही एक बैठक बुलाकर परिषद एक प्रतिनिधि मंडल के जरिए सरकार से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम और हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करेगा।
हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल दर्जनों पत्रकारों पर हमले दर्ज किए जाते हैं, जिनमें से कई मामले संगठित अपराधों से जुड़े होते हैं। उदाहरण के लिए, प्रयागराज में हाल ही में एक पत्रकार पर हमला हुआ, जब उन्होंने अवैध खनन की खबर को उजागर करने की कोशिश की। ऐसी घटनाएं पत्रकारों के मनोबल को तोड़ने का काम करती हैं। इसके अतिरिक्त, परिषद ने सुझाव दिया कि पत्रकारों के लिए एक विशेष सुरक्षा हेल्पलाइन और त्वरित कानूनी सहायता की व्यवस्था की जाए, ताकि वे निर्भय होकर अपना काम कर सकें।
