कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो प्रयागराज
प्रयागराज। दिनदहाड़े बम और गोलियों की बौछार में डूबे उस खौफनाक लम्हे को कौन भूल सकता है? 24 फरवरी 2023 की वो शाम, जब बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के प्रमुख गवाह और वकील उमेश पाल की सुल्तानपुर इलाके में हत्या कर दी गई। उनके साथ दो सरकारी गनर भी शिकार बने। चार-पाँच हथियारबंद बदमाशों ने न सिर्फ गोली चलाई, बल्कि बम फेंककर पूरे इलाके को दहला दिया। ये वारदात माफिया अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ पर बदले की आग में भड़की साजिश का हिस्सा बताई जाती है। लेकिन आज, दो साल बाद, इस खूनी सिलसिले का एक नया मोड़ सामने आया है—अतीक के बड़े बेटे मोहम्मद उमर की जमानत याचिका को प्रयागराज की विशेष एससी/एसटी एक्ट कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया। क्या ये फैसला सिर्फ एक झटका है, या साजिश की परतें खोलने की शुरुआत?
कोर्ट रूम की वो तनाव भरी सुबह। लखनऊ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए उमर अहमद। कटघरे में खड़े होकर वो बार-बार गिड़गिड़ाते नजर आए। "जज साहब, मैं बेकसूर हूँ! घटना के वक्त मैं लखनऊ जेल में बंद था। मेरी कोई भूमिका नहीं है, पुलिस ने साजिश रचकर मेरा नाम जोड़ा है,"—ये शब्द उमर के वकील के जरिए कोर्ट में गूंजे। लेकिन विशेष जज राम प्रताप सिंह राणा ने साफ शब्दों में कहा, "अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत नहीं दी जा सकती।" उमर पर सिर्फ ये हत्याकांड ही नहीं, बल्कि 12 से ज्यादा आपराधिक मामलों का बोझ है। कोर्ट ने उनके पुराने रिकॉर्ड को भी नजरअंदाज नहीं किया—जिनमें अपहरण, जबरन वसूली और हत्या जैसे संगीन इल्जाम शामिल हैं।
याद कीजिए, उमेश पाल की हत्या कोई साधारण वारदात नहीं थी। राजू पाल की 2005 की हत्या के केस में उमेश मुख्य गवाह थे, जिन्होंने अतीक-भाई की साजिश उजागर की थी। बदले में, अतीक पर उमेश को रास्ते से हटाने का शक था। उमर पर आरोप है कि जेल से ही उन्होंने साजिश की कमान संभाली। पुलिस का दावा है कि कॉल रिकॉर्ड और अन्य सबूत उमर को साजिशकर्ता के तौर पर जोड़ते हैं। उमर की ये दलील कि वो जेल में थे, इसलिए शामिल नहीं हो सकते, कोर्ट ने खारिज कर दी। जज ने कहा, "जांच पूरी होने तक कोई राहत नहीं।" इससे पहले, अतीक के दूसरे बेटे अली की जमानत भी इसी कोर्ट ने ठुकरा दी थी। अब उमर का अगला पड़ाव इलाहाबाद हाई कोर्ट हो सकता है, जहाँ ये जंग और तेज हो जाएगी।
उत्तर प्रदेश में माफिया राज के खिलाफ योगी सरकार की मुहिम के बीच ये फैसला एक बड़ा संदेश है। अतीक-अशरफ की 2023 में कोर्ट परिसर में गोली मारकर हत्या के बाद उनके परिवार पर नकेल कसती जा रही है। लेकिन सवाल अभी बाकी हैं: क्या उमर सचमुच निर्दोष हैं, या जेल की सलाखें उनके पिता के पापों का बदला ले रही हैं? जांच एजेंसियाँ दावा कर रही हैं कि साजिश की जड़ें और गहरी हैं, जिसमें उमर के अलावा कई गुर्गे शामिल हैं। फिलहाल, लखनऊ जेल में बंद उमर को ये झटका और गहरा लगा होगा। क्या हाई कोर्ट में उनकी गिड़गिड़ाहट कामयाब होगी, या न्याय की राह में ये सिर्फ एक पड़ाव है? वक्त ही बताएगा, लेकिन उमेश पाल का खून चीख-चीखकर इंसाफ मांग रहा है।