कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो प्रयागराज
प्रयागराज : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र, झूंसी में हिंदी दिवस के अवसर पर एक भव्य ज्ञानोत्सव का आयोजन हुआ। “हिंदी भाषा और विकसित भारत का संकल्प” विषय पर आयोजित इस गोष्ठी में हिंदी को भारत की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता की धुरी के रूप में रेखांकित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता क्षेत्रीय केंद्र के अकादमिक निदेशक प्रो. अखिलेश कुमार दुबे ने की, जिन्होंने हिंदी को भारत की विविध भाषाओं के बीच सेतु बताते हुए कहा, “हिंदी ने न केवल राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक बनकर उभरी है। यह भाषा हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है और विकसित भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देती है।”
मुख्य वक्ता उत्तर मध्य रेलवे, प्रयागराज के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी डॉ. अमित मालवीय ने हिंदी की अजेय शक्ति पर जोर देते हुए कहा, “हिंदी का विरोध इसलिए है, क्योंकि यह निरंतर प्रगति कर रही है। भारत के किसी भी कोने में जाएं, हिंदी आपको हर दिल और हर जुबान पर मिलेगी। यह न केवल हमारी आधिकारिक भाषा है, बल्कि राष्ट्रीय एकता का सबसे मजबूत आधार भी है।”
स्त्री अध्ययन विभाग की सह आचार्य डॉ. सुप्रिया पाठक ने हिंदी को भारतीय संस्कृति का वाहक बताते हुए कहा, “हिंदी हमारे रोम-रोम में बसी है। यह हमारी भावनाओं और विचारों की सहज अभिव्यक्ति है। हिंदी वह बिंदिया है, जो हमारे माथे की शोभा बढ़ाती है। हम हिंदी के सैनिक हैं, जो इसकी गरिमा और वैज्ञानिकता की रक्षा के लिए कटिबद्ध हैं।”
वहीं, डॉ. अवंतिका शुक्ला ने जोर देकर कहा, “हमारी मातृभाषा हमें हमारी पहचान देती है। यदि हम हिंदी का सम्मान नहीं करेंगे, तो हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर और राष्ट्रीय एकता को कमजोर करेंगे।” जनसंचार विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अख्तर आलम ने हिंदी के वैश्विक प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा, “मीडिया और सिनेमा ने हिंदी को विश्व मंच पर एक नई पहचान दी है। यह भारत की सबसे व्यापक भाषा होने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ रही है।”
कार्यक्रम में डॉ. आशा मिश्रा, डॉ. यशार्थ मंजुल, डॉ. विजया सिंह, डॉ. बिश्वजीत नारायण, और डॉ. अश्विनी कुमार सिंह ने भी हिंदी के महत्व और विकसित भारत के संकल्प पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। अतिथियों का स्वागत विश्वविद्यालय के स्मृति चिन्ह, शॉल और सूत की माला से किया गया।
कार्यक्रम का संचालन समाजकार्य विभाग के सहायक आचार्य डॉ. मिथिलेश तिवारी ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन अनुवाद विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सत्यवीर ने किया। इस अवसर पर जयेंद्र जायसवाल, राहुल त्रिपाठी, गीता देवी, देवमूर्ति द्विवेदी, बिरजू प्रसाद, जगजीवन राम प्रजापति, रोहित पीतांबर, अभिषेक चंद्रा, रश्मि, प्रत्यूष शुक्ल, उमेश शर्मा, राजकुमार यादव, मंजरी कुशवाहा, दीक्षा द्विवेदी, श्वेता पाण्डेय, अनन्या शुक्ला, प्रशांत पाण्डेय, प्रभात मिश्रा, खुशबू सिंह, दीपेश कुमार सहित अनेक विद्यार्थी और शोधार्थी उपस्थित रहे।