}(document, "script")); रेलवे बोर्ड की नई विज्ञापन नीति से होगी सरकार की छवि धूमिल - बलराम शुक्ला

रेलवे बोर्ड की नई विज्ञापन नीति से होगी सरकार की छवि धूमिल - बलराम शुक्ला


कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो प्रयागराज 

( अखबार मालिकों के सामने बेरोजगारी का बढ़ेगा संकट, जिससे लाखों पत्रकार कर्मी भी होंगे बेरोजगार,मीडिया में सरकार के प्रति होगी नकारात्मक आलोचना)


प्रयागराज। रेलवे बोर्ड द्धारा जारी नई विज्ञापन नीति के खिलाफ शुक्रवार को स्वर्गधाम रसूलाबाद में एक बैठक उत्तर प्रदेश पत्रकार कल्याण परिषद के सचिव बलराम शुक्ला के नेतृत्व में की गई। जिसमें अखबार मालिकों व वरिष्ठ पत्रकारों ने रेलवे बोर्ड की नई विज्ञापन नीति से पत्रकारों की बेरोजगारी के संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए भाजपा सरकार की छवि ख़राब होने की बात कही।  रेलवे बोर्ड द्वारा नई विज्ञापन नीति के चलते मध्यम दर्जे के अखबार मालिकों के सामने बेरोजगारी का संकट बढ़ेगा। मीडिया में सरकार के प्रति होगी नकारात्मक आलोचना होगी। इससे सरकार की छवि खराब होगी। अभी तक मीडिया में भाजपा सरकार की सभी महत्वाकांक्षी योजनाओं, परियोजनाओं कार्यशैलियों व उपलब्धियों के चर्चे होते रहे हैं। लेकिन अब मीडिया कर्मियों छोटे व मझोले अखबार को रेलवे बोर्ड की नई विज्ञापन नीति से बेरोजगारी का संकट खड़ा हो रहा है। जिससे मीडिया में नकारात्मक चर्चाएं बढ़ेगी। सरकार की छवि धूमिल होगी। पत्रकार इस नीति के विरोध में क्रांतिकारी बनकर जीविका की लड़ाई के लिए आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।


गौरतलब है कि भाजपा सरकार व मोदी के जो भी कट्टर आलोचकों हैं । वर्तमान में उनमें से कुछ अफसर रेलवे बोर्ड में भी पदस्थ हैं। यह अफसर हर उस मौके का फायदा उठाना चाहते हैं। जबकि रेलवे की छवि दागदार बने, मीडिया में नकारात्मक कारणों से रेलवे की चर्चा हो। यदि वर्ष चुनावी हो तो सोने पर सुहागा जैसा होगा। पीएम के वैचारिक विरोधी होने के कारण रेलवे में सुधारों के प्रति भी इन अफसरों का नजरिया तंग और राजनैतिक ही रहा है। इन अफसरों की नुक्ताचीनी के कारण ही मोदी सरकार बमुश्किल कुछ सुधारों को लागू करा पाई है। महत्वाकांक्षी योजना भी इन अफसरों की नकारात्मक कार्यशैली के कारण कछुआ चाल है। ब्यूरोक्रेट रेलमंत्री भी ब्रितानी सोच वाली इस अफसरशाही को छिन्न - भिन्न नहीं कर पा रहे हैं। रेलमंत्री के इर्द - गिर्द भी एक ऐसे अफसर का साया बना हुआ  2023 को अचानक सीबीसी के एक ऐसे प्रस्ताव पर चुनावी वर्ष में मुहर लगा दी, जो दो वर्ष से लंबित था। इसके अनुसार अब भारतीय रेलवे के विज्ञापन बीओसी जारी करेगा । आदेश यह जानते हुए भी जारी किया गया है कि सीबीसी रेलवे की दैनिक जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता , क्योंकि सीबीसी के पास वैसा इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है ।

 रेलवे के इन नोटिस के जरिए यात्रियों से जुड़ी तमाम जरूरी सूचनाएं भी रहती हैं । इसके विपरीत सीबीसी (CBC) पांच दिनी कार्य दिवस से चलता है। मझोले और छोटे समाचार पत्रों को बीओसी पहले ही वर्ष में मिलने वाला अनिवार्य विज्ञापन बंद कर चुका है ऐसे में दो आशंकाएं हैं कि दूसरी व तीसरी श्रेणी के समाचार पत्रों और के जरिए और खुद भी पीएमओ तक उनसे जुड़े लोगों के रोजगार पर यह आवाज पहुंचाएगा। यदि संकट खड़ा हो जाएगा । साथ ही आवश्यक हुआ तो रेलवे अफसरों द्वारा रेलवे की नोटिस के नियोजित भ्रष्टाचार के खिलाफ आक्रमक रुख होता जा रहा है, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर टेंडर में मनमानी गड़बड़ियाँ होंगी । साथ ही लाखों रेल यात्री तमाम अनिवार्य सूचनाओं से भी वंचित हो जाएंगे । यही नहीं, रेलवे के साथ जुड़ी विज्ञापन एजेंसियों के हजारों कर्मचारियों और उनके परिवार भी आर्थिक संकट में आ जाएंगे जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी भारत सरकार की होगी ।


इस बैठक के  दौरान अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश पत्रकार कल्याण परिषद के सचिव बलराम शुक्ला ने कहा कि रेलवे बोर्ड नई विज्ञापन नीति लाकर अखबार मालिकों एवं पत्रकारों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। इसके चलते हजारों हजारों अखबार बंद हो जाएंगे। जिसके कारण पत्रकारों व अखबार में काम करने वाले कर्मचारियों के सामने रोज़गार का संकट उत्पन्न हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि रेलवे बोर्ड अगर अपनी मनमानी करता रहा तो हम पत्रकार चुप नहीं बैठेंगे इसके लिए आंदोलन करने पर मजबूर हो जाएंगे। हमे एकजुट हो कर रेलवे बोर्ड द्वारा बनाई गई इस नई विज्ञापन नीति के खिलाफ किसान आंदोलन की तरह आंदोलन करना होगा। सरकार को हमारी बात सुनाई ही होगी। रेलवे बोर्ड की इस तानाशाही निति को बदलने पर बदलना ही होगा। इसके लिए चाहे हमें प्रधानमंत्री तक जाना पड़े तो हम जाएंगे।  पिछले कई दिनों से रेलवे बोर्ड की नई विज्ञापन नीति के विरोध में उत्तर प्रदेश पत्रकार कल्याण परिषद के सचिव बलराम शुक्ला के नेतृत्व में लगातार सरकार तक ज्ञापन पहुंचने की कवायत की जा रही है। 

इस बैठक में प्रयागराज के अखबारों के मालिक व वरिष्ठ पत्रकारगण भी उपस्थित रहे। सभी पत्रकार बन्धुओं ने एकमत होकर रेलवे बोर्ड की नई विज्ञापन नीति के विरोध में आन्दोलन करने की बात रखी। इस दौरान सरकार के जनप्रतिनिधियों, सांसदों, विधायकों को ज्ञापन देने की रणनीति बनाई गई। जिससे कि भारत सरकार रेलमंत्री व प्रधानमंत्री तक बात पहुंचाई जा सके। ताकि रेलवे बोर्ड द्वारा नई विज्ञापन नीति को रद्द हो और पूर्ववत व्यवस्था लागू की जाए। इसी क्रम में यह बैठक उत्तर प्रदेश पत्रकार कल्याण परिषद सचिव बलराम शुक्ला के अगुआई में की गई। जिसमें प्रवक्ता अरुण कुमार सोनकर, काशी जायसवाल, संदीप वालिया, उमेश चंद्र श्रीवास्तव, अमित निगम,राजीव कुमार सिंह, विनय श्रीवास्तव, सुरेश तिवारी,अरविंद पांडेय, नागेश मिश्रा, संजय शर्मा, इजलाल अहमद, मृत्युंजय सिंह, सुभम मालवीय,चंद्रकांत मिश्रा, शोभित वर्मा, अमर सिंह, नीरज त्रिपाठी चंद्रमौली श्रीवास्तव आदि कई  पत्रकारगण मौजूद रहे।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने