}(document, "script")); विधायक राजू पाल हत्याकांड में बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद की मुसीबत बढ़ने वाली है

विधायक राजू पाल हत्याकांड में बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद की मुसीबत बढ़ने वाली है


कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो, प्रयागराज

प्रयागराज। विधायक राजू पाल हत्याकांड में बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद की मुसीबत बढ़ने वाली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो गवाहों की प्रति परीक्षा करने की अनुमति देने के विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए प्रयागराज के आदेश को रद्द कर दिया है। साथ ही विशेष अदालत को बसपा विधायक राजू पाल हत्या केस का विचारण (ट्रायल) दो माह में पूरा कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने कहा,गवाही तथा सफाई की कार्रवाई समाप्त होने के बाद बचाव पक्ष को दो गवाहों की फिर से प्रति परीक्षा करने की अनुमति देना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। यह आदेश न्यायमूर्ति डीके सिंह ने हत्या केस में चश्मदीद गवाह कृष्ण कुमार पाल उर्फ उमेश पाल की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। इसमें विशेष अदालत के 18 दिसंबर 19 को पारित आदेश की वैधता को चुनौती दी गई थी।

बाहुबली अतीक अहमद व अन्य के खिलाफ विधायक राजू पाल की हत्या केस की सुनवाई के दौरान चश्मदीद गवाह उमेश पाल का अपहरण किया गया और अतीक के गुर्गों की ओर से अपने पक्ष में बयान देने का दबाव डाला गया, साथ ही धमकी भी दी गई। डर से बयान दर्ज कराया। प्रदेश में सरकार बदलते ही सुरक्षा खतरा कम होने पर याची ने अपहरण धमकी एवं पक्ष में बयान दर्ज कराने के आरोप में अतीक अहमद तथा अन्य के खिलाफ प्रयागराज के धूमनगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई।

पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की और विशेष अदालत ने संज्ञान लेकर चार्ज निर्मित किया। विचारण चल रहा है। दोनों पक्षों के साक्ष्य समाप्त हो गए। इसके बाद विपक्षियों ने याची की फिर से प्रति परीक्षा की अनुमति मांगी। ऐसी अर्जी दो बार अदालत की ओर से निरस्त कर दी गई। सह अभियुक्त जावेद ने धारा 482 में याचिका दायर कर दो गवाहों की प्रति परीक्षा की मांग की, जो खारिज हो गई।

इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, किंतु उसे वापस ले लिया गया। बचाव पक्ष की तरफ से कुल 50 गवाह पेश किए गए हैं। इसके बाद आठ दिसंबर 19 को दाखिल अर्जी को स्वीकार करते हुए अदालत ने दो गवाहों की प्रति परीक्षा की अनुमति दे दी, जिसे याचिका में चुनौती दी गई थी। याची का कहना था गवाही समाप्त हो चुकी है। अंतिम बहस की तिथि तय है। ऐसे में फिर से गवाहों की प्रति परीक्षा की अनुमति देना सही नहीं है। यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए दोनों केसों का ट्रायल दो माह में पूरा कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया है।

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