}(document, "script")); आर्थिक मोर्चे पर सशक्त INDIA, ब्रिटेन को पछाड़ 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बना भारत

आर्थिक मोर्चे पर सशक्त INDIA, ब्रिटेन को पछाड़ 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बना भारत


कवरेज इंडिया न्यूज़ डेस्क

भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार जारी मजबूती का असर देखने को मिल रहा है. यूरोप में सुस्ती के बीच घरेलू अर्थव्यवस्था की तेज ग्रोथ से भारत टॉप 5 इकोनॉमी में शामिल हो गया है. सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है और ब्रिटेन अब छठे पायदान पर है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी डॉलर में की गई गणना के अनुसार भारत ने 2021 की आखिरी तिमाही में यूके को पीछे छोड़ा है.वहीं आईएमएफ के जीडीपी आंकड़ों के मुताबिक 2022 की पहली तिमाही भारत ने अपनी बढ़त और मजबूत की है. अनुमानों के अनुसार इस ग्रोथ के साथ भारत सालाना आधार पर भी जल्द दुनिया की 5वी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है.

क्या होती है जीडीपी?

भारत जीडीपी (GDP) के मामले में दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा देश बन गया है। लेकिन यह जीडीपी होती क्या है? आइए जानते हैं। जीडीपी की फुल फॉर्म है- ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट। हिंदी में हम कहेंगे- सकल घरेलू उत्पाद। किसी देश में एक निश्चित अवधि के दौरान उत्पादित सभी वस्तुओं एवं सेवाओं का कुल बाजार मूल्य ही जीडीपी कहलाता है। भारत में यह अवधि वित्त वर्ष है, जो अप्रैल से मार्च के बीच का समय है। तिमाही आधार पर भी जीडीपी की गणना होती है। जीडीपी से ही किसी देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति का पता लगाया जाता है। यह किसी स्टूडेंट की मार्कशीट की तरह ही है। मार्कशीट बताती है कि स्टूडेंट ने साल भर में कैसा परफॉर्म किया और किस विषय में कितने नंबर आए। उसी तरह जीडीपी से देश में आर्थिक गतिविधियों का पता चलता है। अगर जीडीपी डेटा सुस्त रहता है, तो इससे पता चलता है कि देश में पिछले साल के मुकाबले कम वस्तुओं का उत्पादन हुआ और सर्विस सेक्टर में भी गिरावट आई।

कैसी रही 10 वर्षों में हमारी ग्रोथ रेट?

किसी भी वित्त वर्ष की जीडीपी ग्रोथ रेट बताती है कि उस साल देश की अर्थव्यवस्था कैसी रही। उसमें बढ़ोतरी हुई या सुस्ती आई। आइए पिछले 10 साल में जीडीपी की ग्रोथ रेट के बारे में जानते हैं। साल 2012-13 में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 5.46 फीसदी रही थी। इसके बाद यह 2013-14 में 6.39 फीसदी, 2014-15 में 7.41 फीसदी, 2015-16 में 8.0 फीसदी, 2016-17 में 8.26 फीसदी, 2017-18 में 6.80 फीसदी, 2018-19 में 6.5 फीसदी, 2019-20 में 3.74 फीसदी, 2020-21 में -6.60 फीसदी और 2021-22 में 8.95 फीसदी रही। वित्त वर्ष 2020-21 में कोरोना महामारी के प्रकोप और लॉकडाउन के चलते जीडीपी ग्रोथ रेट नकारात्मक रही थी।

वर्ष ग्रोथ रेट

2012-13 5.46 फीसदी

2013-14 6.39 फीसदी

2014-15 7.41 फीसदी

2015-16 8.0 फीसदी

2016-17 8.26 फीसदी

2017-18 6.80 फीसदी

2018-19 6.5 फीसदी

2019-20 3.74 फीसदी

2020-21 -6.60 फीसदी

2021-22 8.95 फीसदी

आंकड़ों से जानें देश की जीडीपी का आकार

अगर पिछले 10 वर्षों में भारत की जीडीपी (India GDP) के आंकड़े देखें, तो कोरोना काल को छोड़कर इसमें अच्छी बढ़ोतरी हुई है। साल 2012-13 में देश की जीडीपी 1827.64 अरब डॉलर थी। यह साल 2013-14 में 1856.72 अरब डॉलर, 2014-15 में 2039.13 अरब डॉलर, 2015-16 में 2103.59 अरब डॉलर, 2016-17 में 2294.80 अरब डॉलर, 2017-18 में 2651.47 अरब डॉलर, 2018-19 में 2702.93 अरब डॉलर, 2019-20 में 2831.55 अरब डॉलर, 2020-21 में 2667.69 अरब डॉलर और 2021-22 में 3173.40 अरब डॉलर हो गई।

वर्ष जीडीपी

2012-13 1827.64 अरब डॉलर

2013-14 1856.72 अरब डॉलर

2014-15 2039.13 अरब डॉलर

2015-16 2103.59 अरब डॉलर

2016-17 2294.80 अरब डॉलर

2017-18 2651.47 अरब डॉलर

2018-19 2702.93 अरब डॉलर

2019-20 2831.55 अरब डॉलर

2020-21 2667.69 अरब डॉलर

2021-22 3173.40 अरब डॉलर


ये हैं पहली तिमाही के आंकड़े

हाल ही में सरकार द्वारा जारी आंकडों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की रियल जीडीपी के 36.85 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। पिछले साल की समान तिमाही में यह आंकड़ा 32.46 लाख करोड़ रुपये था। पिछले कुछ वर्षों की पहली तिमाही में जीडीपी के आंकडें देखें, तो इसमें अच्छी ग्रोथ हुई है। वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में जीडीपी 33.84 लाख करोड़ रुपये रही थी। 2019-20 की पहली तिमाही में यह 35.49 लाख करोड़ रुपये रही। हालांकि, कोविड लॉकडाउन के कारण साल 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी सिकुड़कर 27.04 लाख करोड़ रुपये रह गई थी।

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