}(document, "script")); पढ़िए दरोगा शैलेंद्र सिंह की दर्द भरी कहानी, जिसे अखिलेश सरकार में 'नबी अहमद' को गोली मारना पड़ा भारी, अखिलेश ने बर्बाद कर दिया हंसता खेलता परिवार

पढ़िए दरोगा शैलेंद्र सिंह की दर्द भरी कहानी, जिसे अखिलेश सरकार में 'नबी अहमद' को गोली मारना पड़ा भारी, अखिलेश ने बर्बाद कर दिया हंसता खेलता परिवार


कवरेज इंडिया न्यूज़ डेस्क प्रयागराज

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस का एक सब-इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह जो लगभग विगत तीन साल से जेल में निरुद्ध हैं। शैलेन्द्र सिंह का नाम तब चर्चा में आया, जब उन पर आरोप लगा कि उन्होंने इलाहाबाद जिला अदालत में हमलावर वकील नबी अहमद को आत्मरक्षा में गोली मार दी थी। ये वो समय था जब न सिर्फ इलाहाबाद के बल्कि देश भर के वकील सड़कों पर आ गए थे। दिल्ली , बंगलौर तक एक स्वर में शैलेन्द्र सिंह को फांसी के लिए फांसी की मांग हुई। कई वकीलों ने शैलेन्द्र सिंह का केस न लड़ने तक का फरमान सुना दिया था।

दहशत कुछ यूं बन गई थी की खुद शैलेन्द्र सिंह की रिश्तेदारी में पड़ने वाले वकीलों ने भी नबी के समर्थन वाली लॉबी के आगे घुटने टेक दिए। उन्होंने केस लड़ने से मना कर दिया था। यहां ये जानना जरूरी है कि इस देश में वकील अजमल कसाब को भी मिले। आतंकी और निर्दोषों के कातिल याकूब के लिए तो रात दो बजे कोर्ट भी खुलवाए जा चुके हैं। यद्यपि इस घटना का वीडियो सामने आया है जिसमे साफ़ साफ शैलेन्द्र सिंह को कई वकीलों से अकेले जूझते देखा जा सकता है।उस वीडियो में नबी अहमद की आवाज साफ़ और तेज सुनाई दे रही थी। शैलेन्द्र सिंह के परिवार के अनुसार किसी मुकदमे में नबी अहमद के मनमाफिक रिपोर्ट न लगाने के चलते उसने शैलेन्द्र सिंह को कचहरी बुलाने का पूरा ताना बना बुना। जैसे ही शैलेन्द्र सिंह कचहरी पहुंचे उन पर हमला बोल दिया गया जिसके बाद ये दुर्घटना घटी। 

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यहां यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि उस समय अखिलेश यादव की सरकार थी। जो घोरतम तुष्टिकरण के चलते अक्सर चर्चा में रहती थी। शैलेन्द्र सिंह को आननफानन गिरफ्तार कर लिया गया। मृतक नबी अहमद के परिवार को तत्काल अखिलेश सरकार ने सहायता राशि उपलब्ध करवाई। शैलेन्द्र सिंह बार बार कहता रहा कि वो राष्ट्रभक्त है। उसकी ही जान को खतरा था पर उसकी एक नहीं सुनी गई। हालात ये हो गए कि उसे न पाकर उसके बदले नबी अहमद के कुछ बहुत ख़ास लोगों ने सिपाही नागर को गोली मारी। जिसका विरोध कई राष्ट्रवादी वकीलों ने खुद किया और इस हिंसा को गलत ठहराया।

फिर परिस्थितियां इतनी विषम हो गईं कि शैलेन्द्र सिंह को इलाहाबाद जेल में भी रखना उनकी जान के लिए खतरा माना जाने लगा। मृतक नबी अहमद दुर्दांत अपराधी अशरफ का बेहद ख़ास था। शैलेन्द्र सिंह को उनकी जान के खतरे को देखते हुए इलाहाबाद से दूर रायबरेली जेल में रखा गया। उनका साथ देने जो भी सामने आया उसको अदालत परिसर में बेइज्ज्ज़त किया गया। जिसमें आईजी अमिताभ ठाकुर की धर्मपत्नी डॉ. नूतन ठाकुर तक शामिल हैं।

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शैलेन्द्र सिंह के परिवार का कहना है कि यदि उनके पक्ष को विधिपूर्वक, न्यायपूर्वक और निष्पक्षता से सूना जाए तो निश्चित तौर पर शैलेन्द्र सिंह मुक्त करने योग्य पाए जाएंगे। सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह के परिवार के हालात देखें तो अब बेहद दयनीय हालात में पहुंच गए हैं। उनकी दो बेटियां कभी पिता से मिलने जब जेल तक जाती हैं तो वो पुलिस अधिकारी चाहकर भी इसलिए नहीं रो पाता क्योंकि उसको पता है कि उसके बाद उसकी बेटियां टूट जाएगी। तब उन्हें बाहर कोई चुप कराने वाला भी नहीं है। एक बेटी तो ठीक से जानती भी नहीं कि पिता का प्रेम क्या होता है। क्योंकि जब वो महज तीन माह की थी तब से ही उनका पिता जेल में है।

ख़ासकर तथाकथित अल्पसंख्यकों के खिलाफ पुलिस विभाग के हाथ पैर बांधकर रखने वाली पिछली अखिलेश सरकार में हुई इस घटना के समय सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह इलाहाबाद के शंकरगढ़ थाने के नारीबारी चौकी प्रभारी थे। शैलेन्द्र सिंह के माता पिता की मृत्य हो चुकी है। उनका एक भाई विक्षिप्त हो गया है। इस प्रकार कभी जिले के सबसे जांबाज़ और तेज तर्रार पुलिस सब इंस्पेक्टरों में से गिना जाने वाले शैलेन्द्र सिंह का पूरा परिवार अब बेहद डांवाडोल हालात में है।

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हालात इतने विषम हैं की उनकी पत्नी श्रीमती सपना सिंह को तीन मासूम बच्चों के साथ पिता के घर रहना पड़ रहा है। जहां जैसे-तैसे इस परिवार का गुजारा हो रहा है। हालात ये भी हैं कि अब तीनों बच्चों की पढ़ाई आदि भी खतरे में पड़ती जा रही है। क्योंकि पति का मुकदमा लड़ते-लड़ते परिवार का सबकुछ बिक चुका है। यही हाल रहा तो कल खाने के लिए भी दिक्कत पैदा हो जाएगी। एक पुलिस वाले जो कानून और समाज की रक्षा के लिए वर्दी पहना हो उसकी और उसके परिवार की ये दुर्दशा किसी पत्थरदिल का भी कलेजा पिघलाने के लिए काफी है।

सब इंस्पेक्टर शैलेंद्र सिंह को न्याय दिलाने की इस मुहिम को आंदोलन का हिस्सा बनाइए। मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, पुलिस विभाग की मुखिया श्री ओम प्रकाश सिंह सहित उन सभी राष्ट्रवादी विचारधारा के वकीलों से आशा है कि वो उन्हें न्याय दिलाएंगे। विगत तीन वर्षो में आर्थिक और सामाजिक रूप से टूट चुके इस परिवार के पास अब पैरवी के लिए मात्र पत्नी सपना सिंह जी ही हैं। जो शायद ही ऐसी कोई चौखट हो जहां मत्था टेककर न आ चुकी हों। अपने पति को न्याय दिलाने की मांग को लेकर। यहां सवाल तथाकथित मानवाधिकारवादियों से भी है। जो नक्सलियों और आतंकवादियों तक के पक्ष में खड़े हो जाते हैं पर निर्दोष पुलिसकर्मियों के साथ नहीं।

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सब इंस्पेक्टर शैलेंद्र सिंह की न्याय की इस मुहिम का आप भी हिस्सा बनें। हमें पता है आप भी इस पीड़ित परिवार की मदद करना चाहते हैं। इस अभियान में कई प्रकार से मदद कर सकते हैं। अगर वकील हैं तो उनके मुकदमें की निशुल्क पैरवी करके बड़ा काम हो सकता है। अगर पत्रकार हैं तो अपने लेखन में जहां भी संभव हो इसे शामिल कर सकते हैं। अर्थशास्त्र मजबूत है तो आर्थिक सहयोग भी परिवारीजनों के हित में किया जा सकता है। कार्यकर्ता हैं तो इस विषय को विभिन्न मंचों पर उठाया जा सकता है। सोशल मीडिया एक्टिविस्ट हैं तो अपनी टाइमलाइन पर स्थान दे सकते हैं। हकीकत से रूबरू होकर देखना चाहते हैं तो उसके घर जा सकते हैं। थोड़ी और सहानुभूति है तो रायबरेली जाकर जेल में मुलाकत कर सकते हैं

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इतना भी नहीं कर सकते तो "मुफ्त के इंटरनेट युग में इस खबर को चंद वाट्सअप और अपने मित्रों तक" भेज सकते हैं। इतना भी संभव न हो और कर्म करना भारी लगे तो वचन से इतना जरूर कहना कि "शैलेंद्र सिंह निर्दोष है"। यह भी संभव न हो मन में एक बार उस दृश्य को स्मरण करना और फिर खुद को उस जगह पर रखकर देखना। कुछ न कर सकें तो एक बार उसकी "सलामती के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर देना"। आपकी एक मुहिम "एक निर्दोष वर्दी वाले को न्याय" दिला सकती है। यह भी मुश्किल लगे तो फिर मुझे आपसे कुछ नहीं कहना है।

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