कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो प्रयागराज
प्रयागराज (Coverage India): इलाहाबाद विश्वविद्यालय के आर्य कन्या डिग्री कॉलेज में अवैध फीस वसूली के विरोध में छात्राओं ने सोमवार को कॉलेज परिसर में धरना दिया। प्रदर्शन के दौरान छात्राओं ने प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की और आरोप लगाया कि उनके धरने की वीडियो बनाकर उन्हें 'बाद में कार्रवाई' की धमकी दी जा रही है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने भी इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जो कॉलेज प्रबंधन की मनमानी पर केंद्रित था।
प्रदर्शन की शुरुआत और छात्राओं की आपबीती
कॉलेज परिसर में सुबह से ही सैकड़ों छात्राएं इकट्ठा हो गईं। उन्होंने बैनर और पोस्टर के साथ नारे लगाए, जैसे "अवैध फीस वापस करो", "छात्र हितों की रक्षा करो"। एक छात्रा ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हमने शांतिपूर्ण धरना दिया, लेकिन प्रशासन के कुछ लोगों ने हमारी वीडियो बनानी शुरू कर दी। कहा गया कि इससे हम पर बाद में एक्शन लिया जाएगा। यह दबाव की रणनीति है, ताकि हम चुप रहें।" यह घटना सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है, जहां छात्राओं के वीडियो साझा किए जा रहे हैं।
एबीवीपी कार्यकर्ताओं के अनुसार, यह प्रदर्शन तीन दिन पहले दिए गए पत्र का नतीजा है, जिसमें चेतावनी दी गई थी कि यदि फीस संरचना में सुधार न किया गया तो बड़ा आंदोलन होगा। संगठन ने बताया कि यह प्रदर्शन बीएएलएलबी (ऑनर्स) कोर्स की फीस पर केंद्रित है, जहां प्रथम वर्ष की छात्राओं से 53,000 रुपये पाठ्यक्रम शुल्क के साथ-साथ 5,000 रुपये 'महर्षि दयानंद संस्थान' को अनिवार्य डोनेशन के रूप में वसूला जा रहा है—कुल 58,000 रुपये। द्वितीय वर्ष में भी यही राशि ली जा रही है।
अन्य कॉलेजों से तुलना: क्यों है विवादास्पद?
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अन्य संघटक कॉलेजों में फीस संरचना काफी कम है। यहां प्रथम वर्ष में 5,000 रुपये सिक्योरिटी डिपॉजिट सहित कुल 50,000 रुपये लिए जाते हैं, जो द्वितीय वर्ष से घटकर 45,000 रुपये हो जाते हैं। एबीवीपी का दावा है कि आर्य कन्या कॉलेज में अतिरिक्त 8,000 रुपये की वसूली अवैध है और यह छात्राओं के आर्थिक बोझ को बढ़ा रही है। संगठन ने अब तक तीन ज्ञापन सौंप चुका है, लेकिन प्रबंधन ने कोई कदम नहीं उठाया।
अवैध प्रबंधन का आरोप: हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना
प्रदर्शनकारियों ने कॉलेज की गवर्निंग काउंसिल पर गंभीर आरोप लगाए। प्रयाग महानगर मंत्री प्रतीक मिश्रा ने कहा, "गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष पंकज जायसवाल उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश की अवमानना कर रहे हैं। अदालत ने उन्हें अवैध घोषित किया था और प्रबंधन से हटाने का निर्देश दिया था। फिर भी वे अवैधानिक रूप से पद पर बने हुए हैं।" मिश्रा ने 2018 में मुट्ठीगंज थाने में दर्ज प्राथमिकी का भी जिक्र किया, जिसमें जायसवाल पर मिलीभगत और धोखाधड़ी के आरोप हैं।
एबीवीपी ने चेतावनी दी है कि यदि 24 घंटे के अंदर फीस वापस न की गई और प्रबंधन में सुधार न हुआ, तो आंदोलन और तेज होगा। विश्वविद्यालय प्रशासन से भी हस्तक्षेप की मांग की गई है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामले उच्च शिक्षा में पारदर्शिता की कमी को उजागर करते हैं। एक पूर्व यूनिवर्सिटी अधिकारी ने कहा, "फीस निर्धारण यूजीसी दिशानिर्देशों के अनुरूप होना चाहिए। डोनेशन जैसी अनिवार्य वसूली अवैध है और छात्रों के अधिकारों का उल्लंघन।" फिलहाल, कॉलेज प्रबंधन ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
यह घटना प्रयागराज के छात्र आंदोलनों की एक कड़ी है, जहां फीस और प्रवेश नीतियों पर बार-बार विवाद होता रहा है। छात्र संगठनों ने कहा है कि वे इस मुद्दे को विधानसभा तक ले जाएंगे।
