जंघई। हत्या या खुदकुशी? 'डिप्रेशन' के पर्दे के पीछे दफन मीरगंज का खूनी राज; पिता ने 'डर' से क्यों छिपाया हत्या का हथियार?


कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो जंघई 

जंघई। मीरगंज/उत्तर प्रदेश। 22 अक्टूबर 2025 की रात, उत्तर प्रदेश के मीरगंज थाना क्षेत्र के ग्राम बभनियांव में पसरा सन्नाटा गोलियों की आवाज से टूट गया। गांव के निवासी प्रवीण मिश्रा (उम्र अज्ञात) की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। यह मामला अब सिर्फ आत्महत्या का नहीं, बल्कि डिप्रेशन, एक रहस्यमयी ऑनलाइन स्टेटस और गायब हुए हथियार के इर्द-गिर्द बुना एक जटिल जाल बन गया है।

मौत से पहले का 'आखिरी' मैसेज

पुलिस को सूचना मिलते ही, अपर पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) श्री आतिश कुमार सिंह सहित भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा और घटनास्थल का गहन मुआयना किया। जांच में पता चला कि मृतक प्रवीण मिश्रा दो दिन पहले ही मुंबई से अपने पैतृक गांव लौटे थे और पिछले कुछ समय से गंभीर डिप्रेशन से जूझ रहे थे।

सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब पुलिस को प्रवीण के मोबाइल की जांच में एक चौंकाने वाला सुराग मिला। अपनी मृत्यु से कुछ ही देर पहले, प्रवीण ने सोशल मीडिया पर एक रहस्यमयी स्टेटस अपडेट किया था: "अब मैं जा रहा हूँ, मेरे परिवार का ख्याल रखना।" इस अंतिम संदेश ने परिजनों और पुलिस दोनों के मन में गहरा संदेह पैदा कर दिया है।

गुमशुदा हथियार और पिता का 'डर'

मामले को और उलझाने वाला तथ्य हथियार (असलहा) का मिलना और फिर उसका गायब होना है। मृतक के पिता ने पुलिस को बताया कि प्रवीण के शव के पास ही वह हथियार पड़ा था, लेकिन उन्होंने "कहीं डरवश" उसे मौके से हटाकर छिपा दिया।

पुलिस अब इस 'गुमशुदा' हथियार की गहन तलाशी कर रही है। एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत, मौके पर हथियार का मिलना, और फिर परिवार द्वारा उसे 'डरवश' छिपा देना— ये सभी बातें मामले को आत्महत्या से कहीं अधिक गहरी साजिश की ओर इशारा कर रही हैं। क्या यह हथियार आत्महत्या का माध्यम था, या कोई और इसे इस्तेमाल कर गया?

आपराधिक इतिहास ने बढ़ाई उलझन

जांच में पुलिस को यह भी पता चला है कि मृतक प्रवीण मिश्रा का पूर्व में आपराधिक इतिहास रहा है। यह नया खुलासा जांच के दायरे को और बढ़ा देता है, जिससे यह संभावना भी बलवती हो जाती है कि कहीं इस मौत का संबंध उनके पुराने किसी 'दुश्मनी' या गिरोह से तो नहीं है।

अपर पुलिस अधीक्षक श्री आतिश कुमार सिंह ने थानाध्यक्ष मीरगंज को सभी पहलुओं—डिप्रेशन, रहस्यमयी स्टेटस, आपराधिक इतिहास और गायब हथियार—पर सूक्ष्मता से जांच करने और जल्द से जल्द सच सामने लाने के निर्देश दिए हैं।

फिलहाल, बभनियांव गांव में चुप्पी टूटी है, लेकिन यह चुप्पी सवाल कर रही है। जब तक पुलिस 'गायब' हथियार को बरामद नहीं कर लेती और फॉरेंसिक रिपोर्ट नहीं आ जाती, प्रवीण मिश्रा की मौत का राज—चाहे वह आत्महत्या हो या सुनियोजित हत्या— एक गहरा खूनी रहस्य बना रहेगा।

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