कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो प्रयागराज
प्रयागराज: फुटपाथ पर फेंका हुआ खाना खाते एक व्यक्ति को देखकर मंगला प्रसाद तिवारी का दिल पसीज गया। उस पल उन्होंने ठान लिया कि अब कोई भी भूखा नहीं सोएगा। यहीं से शुरू हुई 'रविवार की रसोई' की प्रेरणादायक यात्रा, जो आज न केवल प्रयागराज बल्कि कई अन्य जिलों और प्रदेशों में जरूरतमंदों के लिए उम्मीद की किरण बन चुकी है।
मंगला प्रसाद तिवारी अपनी पत्नी अमृता तिवारी और मदद फाउंडेशन की टीम के साथ मिलकर पिछले तीन वर्षों से प्रत्येक रविवार को 'रविवार की रसोई' के माध्यम से गरीब, जरूरतमंद और निराश्रित लोगों को घर का बना शुद्ध भोजन उपलब्ध करा रहे हैं। यह पहल विशेष रूप से फुटपाथ पर जीवन यापन करने वालों के लिए वरदान साबित हो रही है। हर महीने करीब 500 से 600 लोगों को निशुल्क भोजन कराया जाता है।
10% कमाई समर्पित, दिल से शुरू हुआ मिशन
मंगला प्रसाद अपनी कमाई का 10% हिस्सा इस नेक कार्य के लिए समर्पित करते हैं। उनकी यह पहल न केवल भोजन वितरण तक सीमित है, बल्कि यह एक सामाजिक बदलाव का प्रतीक बन चुकी है। मंगला बताते हैं, "फुटपाथ पर फेंका हुआ खाना खाते हुए एक व्यक्ति को देखकर मैंने फैसला लिया कि अब किसी को भूखा नहीं सोने दूंगा।" यही संकल्प 'रविवार की रसोई' की नींव बना।
देशव्यापी बनाने का सपना
आज 'रविवार की रसोई' प्रयागराज के साथ-साथ कई अन्य जिलों और प्रदेशों में भी संचालित हो रही है। मंगला प्रसाद का सपना है कि यह पहल पूरे देश में फैले, ताकि कोई भी निराश्रित व्यक्ति भूखा न सोए। उनकी यह कोशिश समाज के लिए एक मिसाल है, जो दर्शाती है कि छोटी सी शुरुआत भी बड़े बदलाव ला सकती है।
मदद फाउंडेशन के इस प्रयास को देखकर कई लोग प्रेरित हो रहे हैं और इस नेक कार्य में सहयोग के लिए आगे आ रहे हैं। मंगला और उनकी टीम का यह मिशन न केवल भूख मिटाने का माध्यम है, बल्कि मानवता और करुणा का संदेश भी फैला रहा है।