कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो प्रयागराज
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश: प्रयागराज के दुदुवा, सैदाबाद, हंडिया गाँव के रोशन सिन्हा ने अमेरिका में अपनी असाधारण शैक्षणिक उपलब्धि से देश का नाम रोशन किया है। श्री संजय सिन्हा और श्रीमती स्मिता सिन्हा के होनहार पुत्र रोशन ने न्यूयॉर्क स्थित प्रतिष्ठित एडेल्फी विश्वविद्यालय (Adelphi University) से मास्टर्स इन बिजनेस एनालिटिक्स में प्रथम स्थान प्राप्त कर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का परचम लहराया है।
प्रारंभिक शिक्षा और बुलंद इरादे
रोशन की प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी के सेंट जॉन्स स्कूल, मरौली से हुई, जिसके बाद उन्होंने नोएडा के जेपी इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से बायोटेक्नोलॉजी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बचपन से ही अमेरिका जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने का उनका सपना था। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने बारहवीं के बाद ही कमर कस ली थी।
दृढ़ संकल्प और अथक परिश्रम का परिणाम
"अगर इरादे बुलंद हों और मेहनत में ईमानदारी हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती।" यह पंक्तियाँ रोशन के जीवन में पूरी तरह चरितार्थ होती हैं। बिना किसी कोचिंग के, उन्होंने प्रतिदिन 12-15 घंटे पढ़ाई करके आईईएलटीएस (IELTS) की तैयारी स्वयं की। उनके इस अथक परिश्रम का फल उन्हें वर्ष 2023 में मिला, जब उन्हें एडेल्फी विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क में मास्टर्स कोर्स में प्रवेश मिला।
अमेरिका में लहराया भारतीय तिरंगा
दीक्षांत समारोह में जब रोशन को मास्टर्स इन बिजनेस एनालिटिक्स कोर्स में टॉप करने के लिए सम्मानित किया गया, तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस ऐतिहासिक क्षण में रोशन ने गर्व के साथ भारतीय तिरंगे को लहराया, जिससे हर भारतीय की आँखें गर्व से नम हो गईं। यह दृश्य न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता का प्रतीक था, बल्कि भारत के युवाओं की वैश्विक क्षमता का भी प्रमाण था।
प्रेरणास्रोत रोशन
रोशन की इस उपलब्धि ने न केवल उनके माता-पिता और गुरुजनों को गौरवान्वित किया है, बल्कि यह पूरे प्रयागराज और भारत के लिए एक बड़ी प्रेरणा बनी है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि लगन, समर्पण और कड़ी मेहनत के दम पर भारतीय युवा किसी भी वैश्विक मंच पर शीर्ष स्थान प्राप्त कर सकते हैं।
अपनी सफलता का श्रेय रोशन ने अपने माता-पिता, चाचा मनीष सिन्हा, चाची अनीता सिन्हा और अपने शिक्षकों को दिया। उन्होंने कहा, "मेरे परिवार ने मुझे हमेशा सकारात्मक सोच, ईमानदारी और आत्मविश्वास की शिक्षा दी, जो आज मेरी सबसे बड़ी ताकत है।"
प्रयागराज की संत परंपरा से वैश्विक मंच तक
रोशन सिन्हा की यह उपलब्धि इस बात की गवाही है कि प्रयागराज, जो सिर्फ आध्यात्मिक ज्ञान की भूमि नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्व और शिक्षा के नए सूर्यों को भी जन्म देती है। रोशन की कहानी भारत के लाखों युवाओं को अपने सपनों को पूरा करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित करती रहेगी।